चाहे राधा हो या हो मीरा, सबके हिस्से में आई ये तन्हाई। तन्हाई में बैठकर दर्द को अपनी क़लम से लिखता हूँ, नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो…” बस मेरी ही तन्हाई उसे दिखाई नहीं देती। “जिसके लिए तन्हा हूँ वो तन्हा नहीं, जिसे हर दिन याद करूँ https://youtu.be/Lug0ffByUck